Tuesday, 18 September 2018

इस्लामिक कट्टरवाद और समाधान

कई दशकों से दुनिया की नाक में सबसे ज्यादा दम यदि किसी ने किया है तो वह है इस्लामिक कट्टरवाद और उससे जनित आतंकवाद। सभी देश अपने अपने तरीके से इससे निपट रहे हैं लेकिन भारत में एक तेजी से उभरता वर्ग जिस तरह से इससे निपटना चाह रहा है वह चिंताजनक है। इनके तौर तरीके उन्मादियों वाले हैं जिनमें कोई सूझ-बूझ, कोई दूरगामी नीति की झलक दूर दूर तक दिखाई नहीं देती। ये माथे पर तिलक और हाथों में भगवा झंडे उठाये ऐसे धार्मिक उन्मादियों की भीड़ है जिनके पास अपना कोई दिमाग ही नहीं है। ये लोग ऐसे हैं जैसे आँखों पर पट्टी बांधकर तलवार भांजता कोई तलवारबाज। जो अपने ही लोगों को मार रहा है, जबकि उसका प्रतिद्वंद्वी दूर खड़ा हंस रहा है। इन उन्मादियों की भीड़ को अपने सुरक्षित किलों में बैठे आकाओं द्वारा अपने व्यक्तिगत हितों के लिए रिमोट से संचालित किया जा रहा है। ये वो लोग हैं जिनको समस्या की कोई वास्तविक समझ नहीं है। इनके सामने इनके आकाओं द्वारा जो विकृत सच्चाई परोसी जा रही है और उससे निपटने का जो समाधान सुझाया जा रहा है, ये बस उसी को सच मानकर सड़कों पर निकल पड़े हैं। जबकि ये नहीं जानते कि जिसे ये समाधान समझ रहे हैं वह इनको और इनकी आने वाली कौम को ऐसी मुसीबतों में फंसा देगा जिसकी भरपाई शायद हो ही न पाए।

वैसे भी धार्मिक अंधमूढ़ लोगों के समाधान अक्सर समस्या को सुलझाते नहीं बल्कि उसको और ज्यादा उलझा देते हैं। क्योंकि किसी भी समस्या के सटीक समाधान पर पहुँचने के लिए निष्पक्ष तार्किक विश्लेषण जरुरी है ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। लेकिन निष्पक्ष और तार्किक हो पाना धार्मिक लोगों के लिए असंभव सी बात है। तो होता ये है कि सांप भी नहीं मरता और लाठी भी टूट जाती है।
ये लोग असल में इस्लामिक कट्टरपंथ का जवाब हिन्दू कट्टरपंथ से देना चाहते हैं। इनका मानना है ऐसा करके ये इस्लामिक कट्टरपंथ को परास्त कर देंगे। सच कहूँ तो मुझे इनकी मूर्खता और मासूमियत पर हंसी आती है। जो भी ऐसा सोचता है की इस्लामिक कट्टरपंथ का इलाज हिन्दू कट्टरपंथ है तो वह वास्तव में इस्लाम और हिन्दू धर्म की मूल भावना और दर्शन से बिलकुल अनभिज्ञ है।
भारत में धर्म के उदय का कारण और इसके दर्शन का मूल केंद्र जीवन, प्रकृति और ब्रह्माण्ड को लेकर मानव की सहज जिज्ञासाएं हैं। विस्तारवाद और अधिपत्य स्थापित करने की भावना इसमें अन्य पश्चिमी धर्मों की अपेक्षा बहुत कम है। यही कारण है कि भारत पर आक्रमण करने धरती के दुसरे छोर सुदूर पश्चिम तक से आक्रमणकारी चले आये लेकिन हम किसी पर आक्रमण करने कभी नहीं गए। जबकि इस्लाम के दर्शन का मूल केंद्र ही विस्तारवाद और अपने अधिपत्य की स्थापना करना है। और यह ऐसा कर पाने में बहुत सफल है क्योंकि यह लगभग अपने हर अनुयायी को म्रत्यु के भय से मुक्त कर एक समर्पित सैनिक में बदल देने की क्षमता रखता है जो दिन रात इस्लाम के विस्तार और अधिपत्य की स्थापना के लिए संघर्षशील रहता है। इस्लाम के दर्शन में यह जीवन वास्तविक जीवन नहीं है, यह सिर्फ एक टेस्ट है जो की अल्पकालिक है, असली जीवन जो की अनंतकाल तक रहेगा म्रत्यु के बाद शुरू होगा। ऐसा व्यक्ति जिसका इस दर्शन में अटूट विश्वास हो कुछ भी कर गुजर सकता है। इसके साथ ही इस्लाम का संघीय ढांचा बेहद मजबूत और अभेद है और इसके भीतर बेहद कुशल संगठनात्मक योग्यताएं भी हैं। यही कारण है कि अपने उदय के बाद मात्र कुछ ही शताब्दियों में यह पश्चिम में यूरोप की सीमाओं तक और पूर्व में मध्य एशिया को पार करते हुए भारत तक में फ़ैल गया।
इसलिए यदि आप धार्मिक कट्टरता को हथियार बनाकर इस्लामिक कट्टरपंथ से मुकाबला करने उतर रहे हैं तो आप भारी भूल कर रहे हैं। आप इसके सामने कहीं भी नहीं ठहरते। आपकी हार सुनिश्चित है। भले ही आप कितने ही कट्टर धार्मिक संगठन खड़े कर लें या आवाम में पूरे जोर शोर से धार्मिक कट्टरता का प्रचार कर लें फिर भी वह आपको उस उत्कृष्टता पर नहीं पहुंचा सकती कि आप कट्टर इस्लाम का मुकाबला कर सकें। क्योंकि आपके धर्म के डीएनए में ही वह चीज नहीं है। उस उत्कृष्टता पर पहुँचने के लिए आपको हिन्दू धर्म का पूरा दर्शन ही बदलना पड़ेगा। जो की असंभव के साथ साथ औचित्यहीन भी है।
यूँ समझिये इस्लाम अपने कट्टरतम स्वरुप में एक चतुर और खूंखार शिकारी है, जबकि हिन्दू धर्म अपने कट्टरतम स्वरुप में मात्र एक आसान शिकार। भारत की 800 वर्ष लम्बी गुलामी और इस दौरान भी हिन्दुओं में स्वतंत्रता की जनचेतना का न पैदा हो पाना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि हिन्दू धर्म में वर्चस्व और अधिपत्य स्थापित करने की भावना अन्य धर्मों की अपेक्षा कितनी कम है। भारत में स्वतंत्रता की चेतना भी अंग्रेजों के आगमन के बाद अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार के कारण पैदा हुए वैज्ञानिक द्रष्टिकोण का परिणाम थी। भारत के जनमानस को वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से विमुख कर धार्मिक कट्टरता की ओर मोड़ देने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। क्योंकि कट्टरता की इस प्रतिस्पर्धा में कट्टर इस्लाम का जीतना तय है। किसी भी समाज में बढती धार्मिक कट्टरता और घटता वैज्ञानिक द्रष्टिकोण कट्टर इस्लाम के लिए शुभ संकेत है। क्योंकि यह उसको वह अनुकूल वातावरण प्रदान करता है जहाँ वह अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को परास्त कर अपना वर्चस्व आसानी से स्थापित कर सकता है। एक युक्ति से समझाने की कोशिश करता हूँ।
मगरमच्छ पानी के भीतर एक शक्तिशाली और अपराजेय शिकारी है। आपको यदि तैरना भी ठीक से न आता हो और आप पानी में घुसकर मगरमच्छ से लड़ने की योजना बना रहे हैं तो आप आत्महत्या की तैयारी ही कर रहे हैं। पानी में मगरमच्छ को पराजित करना असंभव है। क्योंकि उसके शरीर का एक एक अंग पानी में शिकार करने के लिए ही विकसित हुआ है। पानी के भीतर वह अपने से कई गुना बड़े जानवरों को भी चित कर सकता है। इसलिए मगरमच्छ को पराजित करने के लिए पानी में घुसना बेवकूफी है। बेहतर है कि उसे पानी से निकलने पर मजबूर कीजिये और फिर जमीन पर उसे मात दीजिये। ठीक इसी तरह यदि इस्लामिक कट्टरपंथ को मात देनी है तो स्वयं कट्टरता में मत उतरिये, क्योंकि वहां आप उसे मात नहीं दे पायेंगे बल्कि उसकी राह ही आसान करेंगे। दुनिया में कट्टरपंथ का तालाब जितना बढेगा इस्लामिक कट्टरपंथ के मगरमच्छ को फलने फूलने का उतना ही अवसर मिलेगा। हमें इस तालाब के दायरे को बढाने में सहयोग नहीं देना चाहिए, बल्कि समाज में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण का ज्यादा से ज्यादा प्रसार करना चाहिए। ताकि कट्टरपंथ का ये तालाब सिकुड़े और मगरमच्छ को आसानी से मारा जा सके।
इसलिए यदि आप धार्मिक कट्टरता के वशीभूत होकर मुसलमानों के खिलाफ दिन रात जहर उगल रहे हैं, उनके प्रति अपनी नफरत का इजहार कर रहे हैं, उनको पीटकर या उनकी हत्या करके इस्लामिक कट्टरपंथ को पराजित करने का गर्व पाल रहे हैं तो इस मुगालते से जितना जल्द हो सके बाहर आईये। ऐसा करके आप इस्लामिक कट्टरपंथ को और ज्यादा फलने फूलने का अवसर ही प्रदान कर रहे हैं। आपकी ये हरकतें इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए उनके कुत्सित मंसूबों को पूरा करने की राह ही आसान कर रही हैं। ऐसा करके आप बिल्कुल वही कर रहे हैं जैसा वे चाहते हैं। वे तो चाहते ही हैं कि भारतीय समाज में हिन्दू और मुस्लिमों की बीच वैमनस्य बढ़े। ताकि वे बदले की भावना से भरे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी विचारधारा की ओर आकर्षित कर सकें। जब कोई पहलू खान पीट पीटकर मार दिया जाता है या फिर कोई शम्भू किसी अफराजुल शेख की निर्ममता से हत्या कर देता है और फिर उसके समर्थन में तमाम हिन्दू संगठन सड़कों पर उतर पड़ते हैं। उसको आर्थिक सहायता पहुँचाने के लिए बाकायदा कैम्पेन चलाये जाते हैं तो ये बहुत खतरनाक स्थिति है। क्योंकि उससे पैदा हुए क्रोध, भय और असुरक्षा के कारण कट्टरपंथियों के लिए कुछ और मुसलमानों को गंगा जमुनी तहजीब से विमुख कर कट्टरता की ओर मोड़ देना बहुत आसान हो जाता है। आतंकवादियों को ऐसी ही घटनाओं का हवाला देकर जेहाद के लिए तैयार किया जाता है। इस तरह आप अपने घर में ही दुश्मन पैदा कर लेते हैं।
आपको याद रखना चाहिए आपकी लड़ाई इस्लामिक कट्टरपंथ से है मुसलमानों से नहीं। यदि आप इन दोनों में फर्क नहीं कर पा रहे हैं और दोनों को एक ही तराजू में तोल रहे हैं तो आप भारी भूल कर रहे हैं। इस भूल की भरपाई आपको भविष्य में भीषण गृहयुद्ध के रूप में करनी पड़ सकती है। जिसमें न केवल जानो माल की भारी क्षति होगी बल्कि देश का विकास बुरी तरह प्रभावित होगा और देश कई दशक पीछे चला जायेगा। हो सकता है इस कारण से देश को एक और विभाजन झेलना पड़ जाए। क्योंकि मुस्लिम समुदाय संख्या के लिहाज से देश का दुसरे नम्बर का समुदाय है। जब आप मुस्लिम समुदाय की बात करते हैं तो आप 18 करोड़ लोगों की बात कर रहे हैं। यदि आप सोचते हैं कि वे सभी इस देश को छोड़कर कहीं और चले जायें या फिर वे सभी घरवापसी करके हिन्दू बन जायें तो ये असंभव बात है। दोनों समुदाय आपस में समन्वय से रहें ऐसा ही कोई मार्ग निकालना होगा। यही देश हित में है। धार्मिक और राजनितिक ताकतें अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए आपको लगातार जिस राह पर चलने के लिए उकसा रही हैं वह राह सिर्फ और सिर्फ बर्बादी की ओर जाती है।
इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए आपको हिन्दू कट्टरपंथ की शरण में जाने, मुसलमानों के प्रति घ्रणा पालने और उनसे दो दो हाथ करने की जरुरत नहीं है। इससे निपटने का एक ही तरीका है कि समाज में ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक द्रष्टिकोण का प्रसार किया जाए, समाज को धार्मिक कूपमंडूकता से मुक्त कर स्वतंत्र सोच को विकसित होने का अवसर प्रदान किया जाये। क्योंकि यही वे चीजें हैं जिससे इस्लामिक कट्टरपंथियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। क्योंकि यही इनकी सत्ता के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। इनका बस चले तो दुनिया से सारा ज्ञान विज्ञान नष्ट करके इसे वापस मध्य युग में पहुंचा दें। आज दुनिया में बढती आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के कारण इनके पेटों में मरोड़ें उठती हैं। क्योंकि आधुनिक शिक्षा और मोबाइल इन्टरनेट के कारण ज्ञान तक बढती पहुँच के कारण बहुत से मुस्लिम कट्टरता को त्याग रहे हैं। आज मुस्लिमों में बढती नास्तिकता इनकी चिंता का मुख्य केंद्रबिंदु है। इसलिए ये हमेशा आधुनिक शिक्षा का विरोध करते हैं। निर्मम हत्याओं के लिए कुख्यात आतंकवादी संगठन बोको हराम की आधारशिला आधुनिक शिक्षा के विरोध पर रखी है। बोको हराम का अर्थ ही है पश्चिमी शिक्षा हराम है। आज के दौर में यदि कोई चीज इनको सबसे ज्यादा खौफजदा कर रही है तो वह यही है जिसको रोकने के लिए ये अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि आप वास्तव में इस्लामिक कट्टरपंथ को परास्त करने के लिए गंभीर हैं तो हमें उन सभी मोर्चों पर काम करना होगा जिससे समाज में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण बढ़े।
सबसे पहला काम तो शिक्षा के मोर्चे पर करने की जरूरत है। हमें सरकार पर दवाब बनाना चाहिए कि वह देश में सभी को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे। शिक्षा के पाठ्यक्रमों में व्यापक बदलाव हो ताकि समाज में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण को बढाया जा सके। साथ ही हमें एकजुट होकर सरकार से मांग करनी चाहिए कि वह बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने वाले सभी धार्मिक शिक्षण संस्थानों ‘फिर चाहे वे मदरसे हों या आश्रम’ पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाये। बच्चे किसी धर्म विशेष की बपौती नहीं हैं, बच्चे राष्ट्र की संपत्ति और देश का भविष्य हैं। इसलिए आधुनिक गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर सभी बच्चों का हक है जो उनको हर हाल में मिलनी ही चाहिए। धार्मिक शिक्षा लेने न लेने का निर्णय वे बालिग होने पर कर सकते हैं।
दूसरा काम जिसके लिए जोर शोर से प्रयास किया जाना चाहिए वह है देश में सभी धार्मिक कानूनों को समाप्त करके एक समान नागरिक संहिता की स्थापना। धार्मिक कानूनों के कारण समाज में धर्म के ठेकेदारों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हो गए हैं जिसकी आड़ में वे न केवल समाज का शोषण करते हैं बल्कि लोगों को डरा धमकाकर धार्मिक नियमों को मानने के लिए बाध्य करते हैं। नागरिक कानूनों में धर्म का बिल्कुल भी दखल नहीं होना चाहिए। देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए।
तीसरा काम सार्वजानिक रूप से किये जाने वाले किसी भी तरह के धार्मिक प्रचार पर रोक। किसी को भी सार्वजानिक रूप से धार्मिक प्रचार अथवा वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के विरुद्ध किसी भी बात का प्रचार करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। सार्वजानिक सभाओं के अतरिक्त संचार के सभी साधनों जैसे रेडियो, टीवी, अख़बार, पत्रिकाएं, मोबाइल इत्यादि पर ऐसा कोई भी प्रचार करना अवैध होना चाहिए। यदि किसी को धार्मिक प्रचार करना है तो वह सिर्फ व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से ही किया जा सके ऐसा कोई नियम बनना चाहिए।
इसके अतरिक्त सभी लोग जो वैज्ञानिक द्रष्टिकोण रखते हैं समाज में इसका ज्यादा से ज्यादा प्रसार करें और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के विरुद्ध होने वाले सभी कार्यों की कड़ी आलोचना करें तथा ऐसा करने वालों को हत्सोत्साहित करने का हर संभव प्रयास करें। इसके साथ ही समाज में दोनों समुदायों के बीच मेलजोल का प्रयास भी करना होगा। इसके लिए त्योहारों को मिलजुल कर मनाने की परम्परा के साथ साथ अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा देना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
ये कुछ सुझाव हैं जो मेरी समझ में आते हैं जिनसे हम न केवल इस्लामिक कट्टरपंथ से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं बल्कि अपने समाज को भी एक बेहतर प्रगतिशील समाज बना सकते हैं। इनके अतरिक्त भी और बहुत से सुझाव ऐसे हो सकते हैं जो अपनाये जा सकते हैं। यदि आपके पास भी कोई ऐसा सुझाव या विचार है तो आप कमेंट में सुझा सकते हैं।
यदि आप अति धार्मिक हैं तो हो सकता है ये सुझाव आपको समझ न आयें। लेकिन इस मामले में आप चाहें तो पश्चिम से सीख सकते हैं। उन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए वैज्ञानिक द्रष्टिकोण का दामन नहीं छोड़ा, न ही धार्मिक कट्टरता को अपनाया। और आज वही हैं जो न केवल इसका मुकम्मल इलाज कर रहे हैं बल्कि अपनी सूझ बूझ से इसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

4 comments:

  1. Aaj vakyi me maine ye post padhle kuchh padha h jo likha gya h aik indan soch se vrna mahol aisa bnadiya gya h k kya kahen mai ye sochta hun k india me itne educated log hn VO sb aisi baaten kyun nhi sochte.jo aapne islamic kattrwad ke visay me baten likhi vo 100% shi hn
    Maine khud aisa ahsas kiya h.mujhe khud mere abbu ne mdrse me jbrdsti islamic study ke liye chhod diya tha
    Maine islamic kattrwad ke andar vo aanch mahsoos ki h jiski aag sari dunia me failne ke liye har vkt tyyar rahti hai .Iska hal bahut hi pechida hai isme hame vo log dekhne honge jo islam ko mukammal trike se jante ho or aise hi hindu jo hindu kattrwad ko andar se jante hon lekin soch unki aap jaisi ho .pahle bhi logon ne bahut koshish ki h is sb ko khtam karne ki .Agar isko mitana h to jo jajbe islamic kattrwad ko failane valon ke hain us se jyadan power hamare andar ho. is soch ko badhane ke liye ham me bhi apne india ko aik great india banane ke liye unse jyadan jajbe or hoska ho.mai us mahan india ko kmse kam apne jivan me aik bar dekhna chahta hun

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  2. अतुलनीय लेख.....🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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